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क़ायदा मेरे शहर का

चंद लफ़्ज़ों और रिपोर्टों में कैसे बयां करूँ, क़ायदा मेरे शहर का? धान के हरे खेतों का, आम के बगीचों का, मंदिर के भव्य स्तम्भ का, अधिकारियों के दंभ का; ज़मीन के ऊँचे भाव का, राजनीतिक दबाव का, साम्भर के तीखे स्वाद का, टालीवूड डायलाग्स का; कभी आओ इस ओर, तब चखाएँगे तुम्हें ज़ायक़ा मेरे शहर का। चंद लफ़्ज़ों और तस्वीरों में कैसे बया करूँ, क़ायदा मेरे शहर का? फूलों की चटक का, सूरज की चमक का, वादियों की ठंडक का, पंछियों की चहक़ का; ठंड में गरम चाय का, धुआँ बनती सांस का, दोस्तों संग उपहास का, हर्ष और उल्लास का; कभी आओ इस ओर, तब चखाएँगे तुम्हें ज़ायक़ा मेरे शहर का। चंद लफ़्ज़ों और कहानियों में कैसे बया करूँ क़ायदा मेरे शहर का? करोड़ों सपनों का, लाखों नौकरियों का, हज़ारों किताबों का, सैंकड़ों कोचिंगों का; भागती मेट्रो का, भागते लोगों का, मीडिया के नहलों का, नेताओं के दहलों का; कभी आओ इसे ओर, तब चखाएँगे तुम्हें, ज़ायक़ा मेरे शहर का। चंद लफ़्ज़ों और यादों में कैसे समेटूँ, क़ायदा मेरे शहर का? माँ की दाल-रोटी का, पापा की ख़ास बेटी का, कपास की गठान का, अपने पहले मकान का, कुंदा की लहरों का, नवग्रह के म

Experiencing India through Bharat Darshan!

Experiencing India through WST 20 people, 20 attachments, traversing through 9 states covering more than 20,000 kilometres, and all in 47 days! Yes, it was that very Bharat Darshan or Winter Study  Tour (WST)  that every civil services aspirant (including me) dreamt about during preparation days. It was indeed a peep into the diverse, chaotic and incredibly beautiful country that India is. This magnificent journey gave way too many experiences, lessons and stories to be summarised in a 1500 words write up! but I will attempt to reflect upon some of my major takeaways from each attachment. The journey and the Attachments! At army attachment , the discipline of soldiers and their sense of pride in their service, uniform and the nation was something I was the most impressed with. Initially I was happy about the ‘digital detox ’ in absence of any mobile, TV or internet network; but by the end of the week, I started getting weary about the whereabouts of my family and friend

शून्य!

शून्य जीवन   भी   तू ,  मृत्यु   भी   तू , कार्य   तू ,  कारक   भी   तू। ब्रह्मा  भी   तू ,  जीवा   भी   तू , प्रकृति   और   पुरुष   भी   तू।              बुद्ध   तू ,  शंकर   भी   तू ,            कबीर   के   दोहों   मे   तू ,            अरस्तू   का   तू  “ स्वर्ण   मध्य ”,            आर्यभट्ट   का   अखंड   तू ! नर   भी   तू ,  नारी   भी   तू ,  बालक   भी   तू ,  वयस्क   भी , राक्षस   भी   तू ,  तू   देवता , रक्षक   भी   तू ,  भक्षक   भी   तू।            तू   दरिद्र ,  तू   सम्पन्नता ,            तू   कश्मीर ,  तू   स्वतंत्रता।            हरित   भी   तू ,  भगवा   भी   तू ,            तू   युद्ध   तो ,  संधि   भी   तू। मत   भी   तू ,  मतभेद   भी , विचार   है ,  विचारशून्य   भी। तू   रिक्त   है ,  समस्त   भी ; संसार   भी ,  निर्वाण   भी।     हर   समर ,  हर   द्वंद्व ,    शून्यता   में   समाहित   है | स्वभावशून्य,  प्रपंच   शून्य ,  तुझमें   सब   सम्भावित   है।।

मेरा देश गाँवो में बसता है।

खेलते बच्चें, खिलते खलिहान के आगे मेरा काँक्रीट का मकान सुना लगता है। उसकी ओड़नी के लाल के आगे, मेरा हर ब्राण्ड फीका लगता है, चौपालों की चर्चाओं के आगे, पार्टी का शोर बचकाना लगता है। सुकून भरी गुलाबी शाम के आगे, शहरी मॉल धुँधला सा लगता है। मेरा देश गाँवो में बसता है,  कितना सुंदर लगता है। उसकी मेहनत, पसीने के आगे मेरा जिम झूठा सा लगता है.  दिन भर की मीठी थकान के आगे, मेरा ऑफ़िस कोरा सा लगता है  उसके संघर्ष, अनुभव के आगे मेरा पद बौना सा लगता है। उसके सरल व्यवहार के आगे मेरा अहंकार अदना सा लगता है।  संतोषी मन और धीरज के आगे  मेरा दिल बेचैन सा लगता है,  मेरा देश गाँवो में बसता है  कितना सुन्दर लगता है। इतना सुख, चैन, संतोष है फिर भी  वो इतना पिछड़ा क्यूँ रहता है?  सारी सुविधाओं के बाद भी,  मेरा मन अस्थिर सा रहता है। वो एक समय भूखा क्यूँ रहता है? मेरा पेट फूला क्यूँ रहता है?  ऐसा कैसे होता है? कि सबको सबकुछ ना मिलता है, मेरा देश हम सब में बसता है  क्या फिर भी सुंदर लगता है? - गरिमा अग

ये वर्दी है, हर रोज़ कमानी पड़ती है!

Philosophy optional: Preparation strategy for UPSC-CSE Mains

WHY PHILOSOPHY? INTEREST is foremost important in deciding the optional. Personally, I had a humanities elective called “Gandhian Thought” at IIIT-H that grew my interest in Gandhian philosophy and philosophy in general.  SYLLABUS for philosophy is relatively compact, precise and well defined.  SOURCES like standard books and notes are easily accessible. SOURCES Coaching class notes. Standard books Indian Philosophy - C.D. Sharma Western Philosophy - Y. Masih Contemporary Western philosophy - Donald Palmer (E-book is available online, however it is not mandatory to read this book) Socio Political Philosophy - O.P. Gauba Philosophy of Religion - Y.Masih  Please note that these books cover much more than the UPSC syllabus, so optimize your time by reading them selectively.  HOW TO PREPARE CONSOLIDATED NOTES - Prepare consolidated notes for each topic based on class notes, standard book and other printed material. Try and finish this job before prelim

UPSC CSE: An Engineer's strategy that worked and lessons learnt

Hello Everyone, I am Garima Agrawal. I am an engineer by profession and have qualified UPSC CSE-2018 with AIR 40. I started my preparation in 2016 after finishing my Btech and MS from IIIT-Hyderabad. I did take coaching in 2016 for GS and Optional to get a direction in my preparation. However I feel that it is the self-studies and tests that helped me the most in this exam. Here, I would like to share my strategy for clearing this exam in the very first sincere attempt. PRELIMS & MAINS While I will be discussing the essential book list in another blogpost, I would like to share some other strategies and tips that may help. Integrated study plan for Prelims and Mains for General Studies. Have a detailed time table (monthly, weekly and daily) to read and revise all standard books keeping requirements of both Prelims and Mains in mind while studying. For eg. If you are doing a topic of polity- Ordinance from M. Laxmikant, you should read the constitutional provisions for pre