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Showing posts from 2020

क़ायदा मेरे शहर का

चंद लफ़्ज़ों और रिपोर्टों में कैसे बयां करूँ, क़ायदा मेरे शहर का? धान के हरे खेतों का, आम के बगीचों का, मंदिर के भव्य स्तम्भ का, अधिकारियों के दंभ का; ज़मीन के ऊँचे भाव का, राजनीतिक दबाव का, साम्भर के तीखे स्वाद का, टालीवूड डायलाग्स का; कभी आओ इस ओर, तब चखाएँगे तुम्हें ज़ायक़ा मेरे शहर का। चंद लफ़्ज़ों और तस्वीरों में कैसे बया करूँ, क़ायदा मेरे शहर का? फूलों की चटक का, सूरज की चमक का, वादियों की ठंडक का, पंछियों की चहक़ का; ठंड में गरम चाय का, धुआँ बनती सांस का, दोस्तों संग उपहास का, हर्ष और उल्लास का; कभी आओ इस ओर, तब चखाएँगे तुम्हें ज़ायक़ा मेरे शहर का। चंद लफ़्ज़ों और कहानियों में कैसे बया करूँ क़ायदा मेरे शहर का? करोड़ों सपनों का, लाखों नौकरियों का, हज़ारों किताबों का, सैंकड़ों कोचिंगों का; भागती मेट्रो का, भागते लोगों का, मीडिया के नहलों का, नेताओं के दहलों का; कभी आओ इसे ओर, तब चखाएँगे तुम्हें, ज़ायक़ा मेरे शहर का। चंद लफ़्ज़ों और यादों में कैसे समेटूँ, क़ायदा मेरे शहर का? माँ की दाल-रोटी का, पापा की ख़ास बेटी का, कपास की गठान का, अपने पहले मकान का, कुंदा की लहरों का, नवग्रह के म

Experiencing India through Bharat Darshan!

Experiencing India through WST 20 people, 20 attachments, traversing through 9 states covering more than 20,000 kilometres, and all in 47 days! Yes, it was that very Bharat Darshan or Winter Study  Tour (WST)  that every civil services aspirant (including me) dreamt about during preparation days. It was indeed a peep into the diverse, chaotic and incredibly beautiful country that India is. This magnificent journey gave way too many experiences, lessons and stories to be summarised in a 1500 words write up! but I will attempt to reflect upon some of my major takeaways from each attachment. The journey and the Attachments! At army attachment , the discipline of soldiers and their sense of pride in their service, uniform and the nation was something I was the most impressed with. Initially I was happy about the ‘digital detox ’ in absence of any mobile, TV or internet network; but by the end of the week, I started getting weary about the whereabouts of my family and friend

शून्य!

शून्य जीवन   भी   तू ,  मृत्यु   भी   तू , कार्य   तू ,  कारक   भी   तू। ब्रह्मा  भी   तू ,  जीवा   भी   तू , प्रकृति   और   पुरुष   भी   तू।              बुद्ध   तू ,  शंकर   भी   तू ,            कबीर   के   दोहों   मे   तू ,            अरस्तू   का   तू  “ स्वर्ण   मध्य ”,            आर्यभट्ट   का   अखंड   तू ! नर   भी   तू ,  नारी   भी   तू ,  बालक   भी   तू ,  वयस्क   भी , राक्षस   भी   तू ,  तू   देवता , रक्षक   भी   तू ,  भक्षक   भी   तू।            तू   दरिद्र ,  तू   सम्पन्नता ,            तू   कश्मीर ,  तू   स्वतंत्रता।            हरित   भी   तू ,  भगवा   भी   तू ,            तू   युद्ध   तो ,  संधि   भी   तू। मत   भी   तू ,  मतभेद   भी , विचार   है ,  विचारशून्य   भी। तू   रिक्त   है ,  समस्त   भी ; संसार   भी ,  निर्वाण   भी।     हर   समर ,  हर   द्वंद्व ,    शून्यता   में   समाहित   है | स्वभावशून्य,  प्रपंच   शून्य ,  तुझमें   सब   सम्भावित   है।।