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शून्य!

शून्य

जीवन भी तूमृत्यु भी तू,
कार्य तूकारक भी तू।
ब्रह्मा भी तूजीवा भी तू,
प्रकृति और पुरुष भी तू। 

         बुद्ध तूशंकर भी तू,
         कबीर के दोहों मे तू,
         अरस्तू का तू “स्वर्ण मध्य”,
         आर्यभट्ट का अखंड तू!

नर भी तूनारी भी तू
बालक भी तूवयस्क भी,
राक्षस भी तूतू देवता,
रक्षक भी तूभक्षक भी तू।

         तू दरिद्रतू सम्पन्नता,
         तू कश्मीरतू स्वतंत्रता।
         हरित भी तूभगवा भी तू,
         तू युद्ध तोसंधि भी तू।

मत भी तूमतभेद भी,
विचार हैविचारशून्य भी।
तू रिक्त हैसमस्त भी;
संसार भीनिर्वाण भी।   

हर समरहर द्वंद्व शून्यता में समाहित है|
स्वभावशून्य, प्रपंच शून्यतुझमें सब सम्भावित है।।

Comments

  1. Mam please help me ,as am not able to memorize those hefty words used in western philosophy. How should I understand all those words and memorize it and also use it in an answer!

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  2. So meaningful and inspiring to life...!!! Garima Maa'm..!!!

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