शून्य
जीवन भी तू, मृत्यु भी तू,
कार्य तू, कारक भी तू।
ब्रह्मा भी तू, जीवा भी तू,
प्रकृति और पुरुष भी तू।
बुद्ध तू, शंकर भी तू,
कबीर के दोहों मे तू,
अरस्तू का तू “स्वर्ण मध्य”,
आर्यभट्ट का अखंड तू!
नर भी तू, नारी भी तू,
बालक भी तू, वयस्क भी,
राक्षस भी तू, तू देवता,
रक्षक भी तू, भक्षक भी तू।
तू दरिद्र, तू सम्पन्नता,
तू कश्मीर, तू स्वतंत्रता।
हरित भी तू, भगवा भी तू,
तू युद्ध तो, संधि भी तू।
मत भी तू, मतभेद भी,
विचार है, विचारशून्य भी।
तू रिक्त है, समस्त भी;
संसार भी, निर्वाण भी।
हर समर, हर द्वंद्व, शून्यता में समाहित है|
स्वभावशून्य, प्रपंच शून्य, तुझमें सब सम्भावित है।।
Beautifully written!
ReplyDeleteGreatly written... 😊
ReplyDeleteWow...😍
ReplyDeleteIt's amazing ma'am
ReplyDeleteMam please help me ,as am not able to memorize those hefty words used in western philosophy. How should I understand all those words and memorize it and also use it in an answer!
ReplyDeleteSo meaningful and inspiring to life...!!! Garima Maa'm..!!!
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