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Roshani ka Janm..



 Delhi rape case has moved all of us. Every young woman in the country like me is aghast and asking this question to herself “what if that girl would have been me ???” . Every family in the country is terrified of sending their daughters outside for studies or work, thinking “will she ever come back home safe or even alive?” Every mother having a baby in her belly is thinking ten times before bringing her girl child in this dangerous environment wondering “will she be able to survive in this brutal and inhuman world!!! ?”
But then the innocent girl in her womb tries to have a dialogue with her and tries to convince her mom to bring her into this world. I have tried to put this dialogue in the form of a poem “Roshani ka janm aur nari ki jeet”:

                             " रोशनी का जन्म और नारी की जीत "
एक चीख रात को चीर ,
माँ के हृधय तक आई .
और  सुनकर ये नन्ही आवाज़ ,
माँ थोड़ी सह्मायी...
"माँ, मुझे मत मारो .!.
मत मारो मुझ नन्ही जान को..
जन्म से पहले ही , मारो  इस अनजान को.."
बस माँ ही सुन सकती थी उसकी ये करुण पुकार ...,
करना तो बहुत कुछ चाहती थी , पर वह भी थी लाचार .
वह माँ बोली रोती बिलखती ,
भरकर अपनी आँखों में मोती .
"बेटी,
तेरी किस्मत अच्छी है , तू इस दुनिया में जन्म लेगी ,
जन्म लेकर भी तू क्या ही कर लेगी..?.
इस दुनिया में औरत का कोई सम्मान नही..
क्या करेगी यहाँ आकर जहा तेरे लिए कोई प्यार नही..?.
पहले "परायी " बाद में "परजाई" कहलाएगी ..,
पर जीवन भर किसी की "अपनी" हो पायेगी.
अरे मेरी नन्ही जान..,
जन्म लेने में ही है भलाई..,"
और ये कहकर रुआंसी माँ की ,
वेदना और भर आई...
पर वो आवाज़ बोली ,
"मुझे बस एक मौका दे दो ,
इस दुनिया में तो आने दो..
मैं भी तो अपनी टिमटिम आँखों से इस दुनिया को निहारना चाहती हूँ,
अपने नन्हे पैरों  से ठुमक ठुमक कर चलना चाहती हूँ..
बड़े होकर, कुछ बनना चाहती हूँ , जीतना चाहती हूँ,
इस दुनिया को अपने रंग दिखलाना चाहती हूँ..
और फिर माँ..,
 मैं भी तो एक दिन बड़े होकर तुम्हारी तरह "माँ" कहलाने का सौभाग्य पाना चाहती हूँ...!."
यह सुनकर वह माँ बीच में टोकी -
"अरे पगली .., ये "सौभाग्य" थोड़ी होता है..,
जहा खुद के खून से सींचे अंग को खुद से ही बहार फेंकना होता है...?.
नही तो पग पग पर इस दुनिया से लड़ना होता है .
और बाहरी दुनिया में जाओ तो कुछ दरिंदो के  सामने अपनी जान और इज्ज़त का सौदा  करना पड़ता है.. "
यह सुनकर भी वो नन्ही आवाज़ निराश नहीं हुई और अपनी माँ को समझाने फिर से दौड़ी..:
"माँ.., मुझे बस एक मौका दे दो..
मेरे सपने बहुत बड़े हैं ,
मुझे भी पंख लगा दो ,
नहीं बनूँगी बोझ मैं तुम पर ,
खोल दो मुट्ठी उड़ जाने दो..!.
मेरा यकीन करो ,
मैं अपना अलग ही इन्द्रधनुष बनाउंगी..,
सातो रंग यहाँ ले आउंगी..
अपनी शीतलता से मैं , सबको सुकून पहुचाउंगी..,
पर गर जुर्रत पड़ी तो , दुर्गा से तेवर दिखलाउंगी   ..!
चलो , चलो माँ.., इस नरक को दूर धकेलते हैं ,
समझना होगा तुम्हे की, नारी से ही वंश  चलते हैं ."
" हाँ ! तुम ठीक कहती हो.." यह कहकर माँ अस्पताल पहुंची ,
यहाँ रोशनी का जन्म हुआ और जीत हुई नारी की.

       Not bringing the girl child into this world, not letting the girls go outside to work , restricting and instructing only the girls but not the whole society is not the solution. Let’s not take a backward step. Let’s not future-India become present-Afghanistan.

Comments

  1. U've made a very valid point. good start, welcome to the blogging-world :)

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  2. Long time since I read something in Hindi, very well written and really touching. And a strong first post :)

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  3. Thanks a lot both :) It is very encouraging :)

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  4. Beautifully expressed... Very moving
    :/

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  5. Respect woman means respect nature, goddess, motherhood, sisterhood... society must be understood man is incomplete without woman.

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